क्यों करनी चाहिये गणपति की पूजा?

धर्मशास्त्रों में याज्ञवल्क्य स्मृति के आचाराध्याय में गणपतिकल्पप्रकरण में स्वप्न सम्बंधी बात का उल्लेख है जिसमें कि विघ्नविनायक के रुष्ट हो जाने पर व्यक्ति पर आपत्तियों का वर्णन है-

‘‘विमना विफलारम्भ: संसीदत्यनिमित्तत:
तेनोपसृष्टो लभते न राज्यं राज्यनन्दन:।।
कुमारी च न भर्तारमपत्यं गर्भमङ्गना
आचार्यत्वं श्रोत्रियश्च न शिष्योऽध्ययनं तथा।।
वणिग्लाभं न चाप्नोति कृषिं चापि कृषीवल:।’’,

– गणपति के कोप द्वारा अभिभूत राजा के पुत्र को राज्य नहीं मिलता, कन्या को अभीष्ट एवं योग्य वर नहीं मिलता, स्त्री को गर्भ नहीं ठहरता, श्रोत्रिय वेदपाठी को आचार्य का पद नहीं मिलता, शिष्य अध्ययन से वंचित रहता है, वणिक् वाणिज्य में लाभ नहीं पाता और कृषक की खेती मारी जाती है। अत: हिन्दू/ सनातन धर्म में सर्वप्रथम विघ्नविनायक के पूजन का विधान है।